भूस्खलन एवं पर्यावरण ह्रासः-एक समीक्षा

Main Article Content

आर0 ए0 सिंह

Abstract

भारतीय सनातन परम्परा मे मानव जाति का उद्भव लगभग दो अरब वर्ष पूर्व माना जाता है। हरे-भरे जंगल, झर-झर बहते झरनों, कल-कल करती नदियों, कलरव करते पक्षी, वृक्ष-वनस्पति तथा विशुद्ध प्राणवायु प्रदान करने वाले वातावरण के बीच मानव ने जब अपनी आँखें खोली होंगी तब स्थिति अतीव मनोरम रही होगी। किन्तु तत्पश्चात् जेैसे -जैसे मनुष्य विकास यात्रा की ओर अग्रसर हुआ और तकनीकी विकास के प्रभाव स्वरूप पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों का समुचित दोहन न कर अपितु विदोहन कर औद्योगिक क्रान्ति का सूत्रपात हुआ, जिसके परिणाम स्वरूप उस समय से वर्तमान तक पर्यावरण की स्थिति में अत्यधिक परिवर्तन आ गया।

Article Details

How to Cite
1.
सिंहआ. भूस्खलन एवं पर्यावरण ह्रासः-एक समीक्षा. ANSDN [Internet]. 24Jul.2014 [cited 4Aug.2025];2(01):277-8. Available from: https://anushandhan.in/index.php/ANSDHN/article/view/1036
Section
Review Article