द्विघातीय समीकरण - प्राचीन व समकालीन प्रणाली का विश्लेषण

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प्रीति बाजपेई

Abstract

प्राचीन भारत में द्विघातीय समीकरण सर्वप्रथम वेदों के निर्माण में उपयोग की गई। सुलभसूत्र जिसमें वेदों के निर्माण की विस्तृत जानकारी दी गई है, इस तथ्य को प्रमाणित करता है| इतिहास हमको बताता है कि विभिन्‍न प्रकार की वेदी अलग-अलग उद्देश्य से बनाई जाती थी। उनके आकार विभिन्‍न धार्मिक विचारों के आधार पर होते थे। इन्हीं आकारों के अलग-अलग माप के बनाने के लिए सम्भवतः गणित व समीकरणों की उत्पत्ति हुई। इसके पश्चात्‌ जब गणितज्ञों की रूचि व जिज्ञासा नक्षत्र विद्या की तरफ बढ़ी तब भी समीकरणों को हल किया गया।

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1.
बाजपेईप. द्विघातीय समीकरण - प्राचीन व समकालीन प्रणाली का विश्लेषण. ANSDN [Internet]. 24Jul.2013 [cited 4Aug.2025];1(01):176-8. Available from: https://anushandhan.in/index.php/ANSDHN/article/view/1633
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Review Article