विज्ञान शिक्षण - अधिगम प्रक्रिया

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सुरेश कुमार सोनी

Abstract

विद्यार्थी, जिज्ञासु प्रवृत्ति के होते हैं। वे अपने परिवेश की वस्तुओं और घटनाओं के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिये सदैव उत्सुक रहते हैं प्रत्येक घटना के पीछे कारण और प्रभाव जानने की इच्छा होती है। विज्ञान-शिक्षण में विद्यार्थियों की जिज्ञासु अवृत्ति का उपयोग किया जाता है| आधुनिक शिक्षण उपागमों में विद्यार्थी को केन्द्र पर रखकर विषयवस्तु को सहज-सरल ढंग से विद्यार्थियों के सम्मुख प्रस्तुत किया जाता है। विद्यार्थियों को प्रकृति का सूक्ष्म निरीक्षण करने, भौतिक एवं रासायनिक परिवर्तनों का अवलोकन करने, विश्लेषण करने तथा निष्कर्ष की ओर बढ़ने क॑ साथ ही उनके कारणों को स्वयं जानने, समझने और आत्मसात्‌ करने के लिये प्रेरित किया जाता है। इसी प्रकार उनके ज्ञान का सुदृढ़ीकरण करने के साथ उन्हें विज्ञान के कुछ विशिष्ट सम्बोधों को सीखने के लिये प्रेरित किया जाता है। विद्यार्थियों को जटिल एवं विशिष्ट सम्बोधों की अवधारणा एवं संकल्पना को स्पष्ट करने के लिए आवश्यक है कि विद्यार्थियों को प्रयोग और प्रेक्षण(एक्सपेरिमेंटेशन एण्ड ऑब्जर्वेशन) करके निष्कर्ष निकालने के अधिकाधिक अवसर प्रदान किए जायें। प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्तर से प्रयोगों और प्रेक्षणों के माध्यम से विज्ञान के शिक्षण-अधिगम का उद्देश्य है कि बच्चों में प्रारम्भ से क्रमबद्ध और सुव्यवस्थित ढंग से कार्य करने की आदत का विकास हो जिससे वे अपने जीवन में कार्य कुशल हो सकें।

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1.
सोनीस. विज्ञान शिक्षण - अधिगम प्रक्रिया. ANSDN [Internet]. 24Jul.2013 [cited 4Aug.2025];1(01):192-6. Available from: https://anushandhan.in/index.php/ANSDHN/article/view/1638
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Review Article