वैज्ञानिक फसलोत्पादन में मटका खाद की उपयोगिता एवं महत्व

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महीपत सिंह
प्रवीन कुमार सिंह

Abstract

भारत वर्ष एक कृषि प्रधान देश है| प्रथम हरित-क्रान्ति के पश्चात्‌ फसलों के उत्पादन में जो महत्वपूर्ण वृद्धि देखने को मिली है, इसमें प्रमाणीकृत बीजों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। अच्छी गुणवत्ता का बीज किसी भी फसलोत्पादन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। खराब गुणवत्ता के बीज का प्रयोग करने के पश्चात्‌ उत्पादन के कारकों जैसे खाद, पानी, कीटनाशी रसायनों कृत्य क्रियायें आदि का कितना भी प्रयोग क्‍यों न किया जाय परन्तु उत्पादन कम ही प्राप्त होता है। वर्तमान में वैज्ञानिक बीज उत्पादन में रासायनिक उर्वरक के अंधाधुन्ध प्रयोग एवं जैविक खादों को कम प्रयोग करने से हमारी मिट्टी की उर्वरा शक्ति क्षीण हो गयी है| वैज्ञानिक प्रयोगों एवं अनुसंधानों से यह बात स्पष्ट हो चुकी है कि हमारी मिट्टी में दिन-प्रतिदिन उर्वरा शक्ति का हरास हो रहा है, जिसका प्रमुख कारण अधिक एवं असंतुलित मात्रा मैं रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग है। मृदा के रासायनिक गुणों में जो परिवर्तन हो रहे हैं, उनसे फसलों का उत्पादन कम हो रहा है। इसकी पूर्ति के लिए किसानों द्वारा फसलों में अधिक मात्रा में यूरिया का प्रयोग किया जा रहा है। खाद उत्पादन की बढ़ती हुई मांग, उत्पादन में होने वाली कमी, मृदा के रासायनिक गुणों में होने वाले परिवर्तन, हमें खाद उत्पादन में पीछे धकेल रहे हैं| वर्तमान समय में वैज्ञानिकों द्वारा परम्परागत खेती पर विशेष जोर दिया जा रहा है| साथ ही जैविक खादों के अधिक से अधिक प्रयोग की संस्तुति की जा रही है| इनमें मटका खाद एक सर्वोत्तम जैविक खाद एवं कीटनाशक के रूप मेँ प्रयोग किया जा सकता है।

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How to Cite
1.
सिंहम, सिंहप. वैज्ञानिक फसलोत्पादन में मटका खाद की उपयोगिता एवं महत्व. ANSDN [Internet]. 24Jul.2013 [cited 4Aug.2025];1(01):204-5. Available from: https://anushandhan.in/index.php/ANSDHN/article/view/1641
Section
Review Article