भारतीय भाषाओं में वैज्ञानिक लेखन व संसाधन विकास : संगोष्ठी आख्या

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अनंत पांडुरंग देशपांडे

Abstract

भारतीय भाषाओं में वैज्ञानिक लेखन व संसाधन विकास इस विषय पर एक त्रिदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन मुंबई स्थित भाभा अणु अनुसंधान केन्द(बाकी, मुंबई, में दिनांक 9-॥ मई, 203 किया गया। इस संगोष्ठी का आयोजन हिन्दी विज्ञान साहित्य परिषद, मुंबई और वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग, नई दिल्ली, इन दो संस्थाओं के माध्यम से हुआ| हिन्दी साहित्य विज्ञान परिषद, बी0 ए0 आर0 सी0(बाकी, मुंबई में 968 में स्थापित हुआ था। परिषद की स्थापना के समय से ही इस संस्था की त्रैमासिक पत्रिका का छपना शुरू हो गया था। इस संस्था के माध्यम से संगोष्ठियां का आयोजन, पत्रिका का प्रकाशन, मोनोग्राम आदि का कार्य सतत्‌ व अबाध रूप से किया जा रहा है। वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग, नई दिल्ली, इस विषय पर देश भर में जागरूकता फैलाने का काम कर रही है। इस संस्था के जरिये विभिन्‍न वैज्ञानिक विषयों पर शब्दावली ग्रन्थ बनाये जाते हैं। उसके लिए देशभर से जाने-माने विद्वानों की सहायता ली जाती है। इन दिनों प्रत्येक वर्ष शब्दावली की एक लाख किताबें बिक जाती हैं जिनके मूल्य रू० १0 से प्रारम्भ होते हैं। इस आयोग ने अभी तक भारत के 22 भाषाओं में 30 हजार पाठ्य पुस्तकें छापी हैं| सभी भाषाओं की शब्दावली संगणक(कम्प्यूटर) में आनी चाहिए, इसका प्रयास आयोग द्वारा किया जा रहा है। कोई भी शब्द जब तक नया होता है, तभी तक कठिन प्रतीत होता है परन्तु जैसे-जैसे उसका प्रयोग बढ़ता जाता है, वैसे-वैसे उसकी कठिनाइयां दूर होती चली जाती हैं। श्री शिव शरण लाल शर्मा जी ने कहा कि आयोग ने अभी तक प्रत्येक विषय की शब्दावली हिन्दी में तैयार की है तथा कई अन्य भारतीय भाषाओं में भी उनका निर्माण प्रगति पर है। उन्होंने कई शब्दों के उदाहरण दिये, जैसे कि पिग आयरन को कच्चा लोहा, इंटरडिसिप्लिनरी को अंतरविभागीय बोला जाता है। कई शब्द ऐसे भी होते हैं जिनके अर्थ विज्ञान की प्रत्येक शाखा में बदलने पड़ते हैं, जैसे कि अंग्रेजी के कंडेंसर शब्द को मेकैनिकल इंजीनियरिंग में द्रवरित्र कहेँगे तथा इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में संग्राहक या संगारीत बोलेंगे, अंग्रेजी के मोल्ड शब्द को मेकैनिकल इंजीनियरिंग में सांचा कहेंगे तथा बायोलॉजिकल साइंस में फफुंडी बोलेंगे, अंग्रेजी के बीम शब्द को सिविल इंजीनियरिंग में धरन कहेंगे तथा भौतिक विज्ञान में किरणपुंज बोलेंगे और इलेक्ट्रॉनिक्स में उसको कणपुंज या इलेक्ट्रॉनपुंज कहेंगे, अंग्रेजी के कॉस्टॉलेशन को खगोल शास्त्र में तारा समूह बोलेंगे तथा एयरोनॉटिक्स में उसको विशिष्ट अवयव समूह कहेंगे।

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1.
देशपांडेअ. भारतीय भाषाओं में वैज्ञानिक लेखन व संसाधन विकास : संगोष्ठी आख्या. ANSDN [Internet]. 24Jul.2013 [cited 4Aug.2025];1(01):233-5. Available from: https://anushandhan.in/index.php/ANSDHN/article/view/1652
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Review Article